नई दिल्ली, प्रेट्र: चीन के साथ व्यापार संबंधों को तोड़ने की मांग के बीच नीति आयोग के पूर्व उपाध्यक्ष अरविंद पानगढ़िया ने कहा कि मौजूदा स्थिति में बीजिंग के साथ व्यापार संबंधों को खत्म करने का मतलब भारत की संभावित आर्थिक वृद्धि का बलिदान करना होगा। उन्होंने कहा कि इसके बजाए भारत को अपने व्यापार का विस्तार करने के लिए ब्रिटेन और यूरोपीय यूनियन समेत अन्य देशों के साथ मुक्त व्यापार समझौता करने का प्रयास करना चाहिए।
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पानगढ़िया ने कहा, ‘इस स्थिति में चीन के साथ व्यापारिक जंग छेड़ने का मतलब देश की संभावित वृद्धि के साथ समझौता करना होगा। चीन के साथ लगती सीमा पर तनाव की प्रतिक्रिया में किसी तरह की कार्रवाई करना उपयुक्त नहीं होगा।” कोलंबिया विश्वविद्यालय में अर्थशास्त्र के प्रोफेसर पानगढि़या ने कहा कि दोनों देश व्यापार प्रतिबंध जैसे कदम उठा सकते हैं, लेकिन इससे 17 ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था वाले देश चीन के मुकाबले तीन ट्रिलियन डालर की अर्थव्यवस्था वाले देश भारत को ज्यादा नुकसान होगा।
उन्होंने कहा कि अमेरिकी जैसी बड़ी अर्थव्यवस्था भी चीन या रूस के खिलाफ प्रतिबंध लगाने में उतने सफल नहीं रहे हैं। पानगढ़िया ने कहा, ‘हमें अगले दशक के लिए भारत की वृद्धि की शानदार संभावनाओं का लाभ उठाते हुए अर्थव्यवस्था को जितना ज्यादा संभव हो उतना बड़ा करने पर ध्यान देना चाहिए। एक बार हम तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे तो हमारे प्रतिबंध का असर भी ज्यादा होगा।’
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Edited By: Amit Singh
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