10 नवंबर बड़वानी
रिपोर्टर का नाम :-युवराज गुप्ता
स्थल :-बड़वानी से बावनगजा-पाटी बोकराटा मार्ग।
कुल दूरी :-30 किमी
सड़क सुरक्षा विशेषज्ञ :-इंजीनियर प्रितेश रावत एवं अमीन शेख
(एक्सपर्ट नगरपालिका रजिस्टर्ड इंजीनियर और शासन की निर्माण योजनाओं में अपनी महती भूमिका निभा चुके हैं। सड़क सुरक्षा व यातायात को लेकर इनका गहन अध्ययन है।
छोटी बड़वानी के समीप घाट की मोड़दार ढलान।
-यहां सामने से आने वाला वाहन नजर नहीं आता और गति नियंत्रित नहीं हो पाती। भ्रम की स्थिति रहती है।
एक्सपर्ट की राय :- निश्चित ही इस घाट पर अनियंत्रण की स्थिति बनती है। तकनीकी दृष्टि से देखा जाए तो दोनो छोरों पर 50 या 100 मीटर के अंतराल में लेवलिंग सुधार की आवश्यकता है क्योंकि इस अंतराल में एक छोर से दूसरे छोर पर वाहन आता नजर नहीं आता है, जिससे दुर्घटना की स्थिति बनती है। मरम्मत कार्य शुरू कर रोड के दोनो छोरों पर झाड़ियों की छंटाई की जाए और लेवलिंग कर तकनीकी कमियों को दूर किया जाए।
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— NaiDunia (@Nai_Dunia) November 16, 2022
-बड़वानी से तीन किमी दूर झरने के पास वाली घुमावदार पुलिया
यहां पर पुलिया पर रेलिंग क्षतिग्रस्त है। तीखा घुमावदार कर्व है।
खतरनाक घाट सेक्शन का अंधा मोड़।
यहां पर अत्यंत घुमावदार घाट और अंधे मोड़ पर दुर्घटनाएं होती रहती हैं।
एक्सपर्ट की राय :-बहुत ही साधारण सी बात है कि किसी भी कंस्ट्रक्शन कार्य को समय-समय पर मेंटेनेंस की आवश्यकता लगती है। यहां देखने पर पाया गया कि कुछ तकनीकी स्तर को सुधारने की जरूरत थी एवं साथ ही सामग्री का भी अच्छा इस्तेमाल किया जाना था, जो यहां पर नहीं दिखाई दिया। रेलिंग का टूटना साधारण मटेरियल का इस्तेमाल किए जाने का उदाहरण है एवं टूटने के बावजूद भी मेंटेनेंस का कार्य समय पर नहीं किया जा रहा है। साथ ही यातायात के किसी भी संकेत का यहां पर इस्तेमाल नहीं किया गया ।
बावनगजा के मुख्य द्वार के समीप मोड़ व दूसरा घाट सेक्शन
यहां पर झांडियों से ढंका घाट सेक्शन व यातायात संकेतकों का अभाव।
एक्सपर्ट की राय :जैसा कि हमने ऊपर बताया कुछ इसी तरह के सुधार की आवश्यकता है। यहां पर भी है यातायात के संकेत तो पूरे रोड पर हमें बहुत ही ना के बराबर नजर आए एवं रिपेयरिंग और झाड़ियों की काट–छांट की अत्यंत ही आवश्यकता है ।
चेतना केंद्र के सामने खतरनाक यू टर्न।
यहां पर यू टर्न व तीखी ढलान के कारण अक्सर दुर्घटनाओं की सम्भावना रहती है। पहाड़ी से पत्थर भी गिरते हैं।
एक्सपर्ट की राय : पहाड़ी क्षेत्रों में वर्षा काल में पत्थर गिरने की संभावना है। यहां पर ये समस्या शुरू से होती आई है यह तो निर्माण के समय पर की आवश्यकता थी दीवारों के साथ में रिटेन वाल या रिटेन कोटिंग करने की एवं साथ ही वाटर ड्रेन का इस्तेमाल भी ना किया जाना था क्योंकि पानी आता है तो रोड पर और उसी कारणवश वाहनों का स्लीप होना और आपस में टकराव होना बना रहता है, इसलिए पूरे ही रोड पर टेक्निकल सुधार मेंटेनेंस और यातायात के संकेत बोर्डो की बहुत-बहुत आवश्यकता है।
Posted By: Hemant Kumar Upadhyay
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