Loud Music: शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम का दावा है कि हेडफोन व इयरबड्स के अधिक इस्तेमाल तथा तेज संगीत वाली पार्टियों में देर तक रहने के कारण एक अरब से अधिक युवाओं में बहरेपन का खतरा पैदा हो गया है। अध्ययन निष्कर्ष बीएमजे ग्लोबल हेल्थ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है। शोधकर्ताओं ने दुनियाभर के देशों से सुरक्षित श्रवण नीति बनाने की अपील की है, ताकि सुनने की क्षमता को सुरक्षित रखा जा सके।
अध्ययन टीम में अमेरिका स्थित मेडिकल यूनिवर्सिटी आफ साउथ कैरोलिना के शोधकर्ता भी शामिल रहे। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आकलन के अनुसार विश्वभर में 43 करोड़ से ज्यादा लोग इस समय डिसएबलिग हीयरिग लास से पीड़ित हैं।
पूर्व के शोध में पाया गया था कि पर्सनल लिसनिग डिवाइस (पीएलडी) के यूजर अक्सर 105 डेसिबल से ज्यादा वाल्यूम विकल्प को चुनते हैं, जबकि मनोरंजन स्थलों पर आवाज का औसत स्तर 104 से 112 डेसिबल होता है। यह वयस्कों के लिए 80 व बच्चों के लिए 75 डेसिबल ध्वनि के मानक स्तर से काफी अधिक है।
शोधकर्ताओं ने इंग्लिश, फ्रेंच, स्पेनिश व रूसी भाषाओं में प्रकाशित अध्ययनों के आंकड़ों विश्लेषण किया, जिनमें 12-34 वर्ष के बच्चे व युवा शामिल थे। 33 अध्ययनों, 35 डाटा बैंक व 19,046 प्रतिभागियों के आंकड़ों के विश्लेषण के आधार पर विज्ञानियों ने न सिर्फ समस्या की जड़ तक जाने का प्रयास किया, बल्कि अनुमान भी लगाया कि 12-34 वर्ष की एक अरब से ज्यादा आबादी को बहरेपन का खतरा है।
Posted By: Navodit Saktawat
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