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अमेठी। ओडीएफ प्लस में चयनित 44 गांवों में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए डीएम ने प्रत्येक गांव के लिए अलग-अलग तीन सदस्यीय तकनीकी टीम गठित कर दी है। सभी टीमों इंजीनियर व वित्त से जुड़े अफसर को शामिल किया गया है।
स्वच्छ भारत अभियान फेज-2 में चयनित 10 ब्लॉकों के 44 गांवों में कचरा प्रबंधन के लिए मौजूदा वित्तीय वर्ष में शासन की ओर से 17.44 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। धनावंटन के साथ भेजे गए निर्देश में कचरा प्रबंधन से जुड़े सभी बिंदुओं पर काम कराने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को दी गई थी।
हालांकि जिले में आवंटित भारी भरकम राशि पर निगाह गड़ाए बैठे अफसरों ने इसे ठिकाने लगाने के लिए नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाईं। बजट को हड़पा जा सके इसके लिए पंचायती राज विभाग ने सभी गांवों में अपने चहेते ठेकेदारों को लगा दिया और उन्हीं की फर्मों को रनिंग के नाम पर हुए काम से अधिक का भुगतान कर दिया।
अभियान में भ्रष्टाचार का खुलासा तब हुआ जब सीडीओ सान्या छाबड़ा ने योजना में चयनित ओडीएफ प्लस गांव में हुए कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया। सीडीओ की जांच में गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद महोना पश्चिम के ग्राम प्रधान, सचिव व दो कांस्ट्रक्शन कंपनियों पर केस दर्ज हो चुका है।
इस मामले में सीडीओ की रिपोर्ट मिलने के बाद डीएम राकेश कुमार मिश्र ने शुक्रवार रात सभी गांवों में भ्रष्टाचार की जांच के लिए अलग-अलग तकनीकी टीम गठित कर दी है। प्रत्येक तकनीकी टीम का नेतृत्व जिला स्तरीय अफसर करेंगे। सूत्रों के अनुसार जांच रिपोर्ट मिलने के बाद भ्रष्टाचार में लिप्त मिले सभी ग्राम प्रधान, सचिव व पंचायती राज विभाग के बड़े अफसरों पर गाज गिरनी तय है।
मामले में जिला प्रशासन की ओर से कार्रवाई की सुगबुगाहट का असर दिखने लगा है। शनिवार को बाजार शुकुल ब्लॉक के बरसंडा की ग्राम प्रधान संजीदा बानो व किशनी की ग्राम प्रधान राबिया कलेक्ट्रेट पहुंचीं। ग्राम प्रधान संजीदा बानो सचिव पर बहाने से डोंगल लेकर 17.31 लाख तो राबिया ने 20 लाख रुपये से अधिक की धनराशि फर्माें को भुगतान कर देने का आरोप लगाया।
शपथ पत्र के साथ शिकायत लेकर पहुंचीं दोनों ग्राम प्रधानों का कहना था कि उनके गांव के सचिवों ने यह कहते हुए ठेकेदारों से काम शुरू कराया कि यह बुलंदशहर से प्रशिक्षित होकर आए हैं और डीपीआरओ साहब ने इन्हीं सेे काम कराने को कहा है। आपको सिर्फ प्रस्ताव देना है। उन्हें न तो कोई मानक बताया गया न ही उनका अधिकार। थोड़ा सा काम होने के बाद उनसे यह कहते हुए डोंगल ले लिया गया कि डीपीआरओ कार्यालय में मैपिंग करानी है।
अमेठी। ओडीएफ प्लस में चयनित 44 गांवों में हुए भ्रष्टाचार की जांच के लिए डीएम ने प्रत्येक गांव के लिए अलग-अलग तीन सदस्यीय तकनीकी टीम गठित कर दी है। सभी टीमों इंजीनियर व वित्त से जुड़े अफसर को शामिल किया गया है।
स्वच्छ भारत अभियान फेज-2 में चयनित 10 ब्लॉकों के 44 गांवों में कचरा प्रबंधन के लिए मौजूदा वित्तीय वर्ष में शासन की ओर से 17.44 करोड़ रुपये आवंटित किए गए थे। धनावंटन के साथ भेजे गए निर्देश में कचरा प्रबंधन से जुड़े सभी बिंदुओं पर काम कराने की जिम्मेदारी ग्राम पंचायतों को दी गई थी।
हालांकि जिले में आवंटित भारी भरकम राशि पर निगाह गड़ाए बैठे अफसरों ने इसे ठिकाने लगाने के लिए नियमों की जमकर धज्जियां उड़ाईं। बजट को हड़पा जा सके इसके लिए पंचायती राज विभाग ने सभी गांवों में अपने चहेते ठेकेदारों को लगा दिया और उन्हीं की फर्मों को रनिंग के नाम पर हुए काम से अधिक का भुगतान कर दिया।
अभियान में भ्रष्टाचार का खुलासा तब हुआ जब सीडीओ सान्या छाबड़ा ने योजना में चयनित ओडीएफ प्लस गांव में हुए कार्यों का स्थलीय निरीक्षण किया। सीडीओ की जांच में गड़बड़ी का खुलासा होने के बाद महोना पश्चिम के ग्राम प्रधान, सचिव व दो कांस्ट्रक्शन कंपनियों पर केस दर्ज हो चुका है।
इस मामले में सीडीओ की रिपोर्ट मिलने के बाद डीएम राकेश कुमार मिश्र ने शुक्रवार रात सभी गांवों में भ्रष्टाचार की जांच के लिए अलग-अलग तकनीकी टीम गठित कर दी है। प्रत्येक तकनीकी टीम का नेतृत्व जिला स्तरीय अफसर करेंगे। सूत्रों के अनुसार जांच रिपोर्ट मिलने के बाद भ्रष्टाचार में लिप्त मिले सभी ग्राम प्रधान, सचिव व पंचायती राज विभाग के बड़े अफसरों पर गाज गिरनी तय है।
मामले में जिला प्रशासन की ओर से कार्रवाई की सुगबुगाहट का असर दिखने लगा है। शनिवार को बाजार शुकुल ब्लॉक के बरसंडा की ग्राम प्रधान संजीदा बानो व किशनी की ग्राम प्रधान राबिया कलेक्ट्रेट पहुंचीं। ग्राम प्रधान संजीदा बानो सचिव पर बहाने से डोंगल लेकर 17.31 लाख तो राबिया ने 20 लाख रुपये से अधिक की धनराशि फर्माें को भुगतान कर देने का आरोप लगाया।
शपथ पत्र के साथ शिकायत लेकर पहुंचीं दोनों ग्राम प्रधानों का कहना था कि उनके गांव के सचिवों ने यह कहते हुए ठेकेदारों से काम शुरू कराया कि यह बुलंदशहर से प्रशिक्षित होकर आए हैं और डीपीआरओ साहब ने इन्हीं सेे काम कराने को कहा है। आपको सिर्फ प्रस्ताव देना है। उन्हें न तो कोई मानक बताया गया न ही उनका अधिकार। थोड़ा सा काम होने के बाद उनसे यह कहते हुए डोंगल ले लिया गया कि डीपीआरओ कार्यालय में मैपिंग करानी है।
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