झांसी। डॉक्टर और दवा कंपनियों के बीच चल रहे कमीशन के बड़े खेल में जनऔषधि केंद्रों पर ताला लगने लगा है। एक साल के भीतर झांसी में ही दस केंद्र बंद हो चुके हैं। जो मौजूदा समय में चल भी रहे हैं उन्हें खुद डॉक्टर ही फेल करने पर तुले हैं। जिला अस्पताल के चिकित्सक तो मरीजों से जनऔषधि केंद्रों से ली जाने वाली दवाएं वापस करा रहे हैं। मरीजों से कहा जा रहा है कि यह दवाएं असरदार नहीं है।
अमर उजाला ने मंगलवार को जिला अस्पताल पहुंचकर पड़ताल की तो डॉक्टरों द्वारा बाहर से दवाएं लिखने पर चल रहा कमीशनबाजी का खेल उजागर हो गया। अस्पताल में दवा काउंटर से जो दवाएं नहीं मिल रही थीं मरीज उन्हें जन औषधि केंद्र से खरीद रहे थे। इन्हीं में कई मरीज डॉक्टर के पास जन औषधि केंद्र से खरीदी गई दवा लेकर पहुंच गए। कुछ डॉक्टरों ने उनसे ये दवाएं लौटाने के लिए बोल दिया। कहा कि ये दवाएं असर नहीं करती हैं। जब मरीज केंद्र पर दवा लौटाने के लिए आए तो वहां मौजूद स्टाफ से उनकी बहस होने लगी। दवा काउंटर पर मौजूद कर्मचारी कह रहा था कि जो दवा डॉक्टर ने लिखी है, उसी सॉल्ट की दवा दी है। मगर मरीज ये कहते रहे कि डॉक्टर ने बोला है कि ये दवा अच्छी नहीं है। बाहर से खरीदो। तब कर्मचारी बोला कि जो दवा अभी 30 रुपये में मिल रही है, वो बाहर 200 में मिलेगी। फिर भी कई मरीजों ने कर्मचारी की नहीं सुनी और दवा लौटा दी।
25 से 40 फीसदी तक मिलता है कमीशन
बताया गया कि जिस कंपनी की डॉक्टर दवाएं लिखते हैं, उससे उन्हें 20 से 30 फीसदी तक कमीशन मिलता है। कंपनी की ये दवाएं मेडिकल स्टोरों पर रखवा दी जाती हैं। इसके अलावा कई डॉक्टर खुद दवाएं बनवाते हैं।
ये बोले मरीज
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पेट में दर्द की समस्या होने पर डॉक्टर को दिखाने आई थी। पांच में दो दवाएं मिलीं। तीन दवा जन औषधि केंद्र से खरीदीं और डॉक्टर को दिखाने गई तो बोले कि असर नहीं करेगी। बाहर से खरीदो। – आलिया, राई का ताजिया।
थायराइड की समस्या है। जिला अस्पताल में डॉक्टर को दिखाया तो उनकी लिखी कुछ दवाएं नहीं मिली। जब जन औषधि केंद्र से खरीदने के बाद डॉक्टर को दिखाने पहुंचे तो उन्होंने कहा कि ये दवा अच्छी नहीं है। – निशा, सैंयर गेट।
एक्सीडेंट में चोट लगने की वजह से पेट में दर्द हो रहा है। यहां पर कई दवाएं खत्म हो गई हैं। जन औषधि केंद्र की दवा डॉक्टर लौटा रहे हैं। कह रहे हैं कि बाहर खुले मेडिकल स्टोर से जाकर खरीदो। – सुरेंद्र, बड़ा खजराहा।
कुछ दिन पहले छत से गिर गई थी। पैर में चोट आई है। जन औषधि केंद्र से खरीदी दवाएं बेअसर होने की बात कहते हुए डॉक्टर ने वापस करवा दीं। अब पांच-छह सौ रुपये खर्च करके बाहर से खरीदनी पड़ेगी। – गीता, वीरांगना नगर।
वर्जन..
मरीजों को जन औषधि केंद्र की दवाएं लेने से कोई भी डॉक्टर मना नहीं कर सकता है। यदि किसी चिकित्सक ने ऐसा किया है तो मरीज आकर शिकायत करें। डॉक्टर से स्पष्टीकरण तलब किया जाएगा। – डॉ. पीके कटियार, प्रभारी प्रमुख अधीक्षक, जिला अस्पताल।
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