Karnataka Hc:मरुघा मठ के पूर्व प्रशासक बसवराजन को जमानत; ‘ककोका’ मामलों में सुनवाई के लिए दिशा-निर्देश जारी – Kartnataka Hc Grants Bail To Murugha Mutt Ex Admin S K Basavaraj
कर्नाटक हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक और मुरुघा मठ के पूर्व प्रशासक एस.के. बसवराजन को सशर्त जमानत दे दी है। वह मठ के पुजारी शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप में हिरासत में चल रहे थे।
शरणारू खुद भी दो नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में एक सितंबर से न्यायिक हिरासत में हैं। बसवराजन की आपराधिक याचिका पर गुरुवार को जस्टिस एस. रचैया की बेंच ने सुनवाई की।
बसवाराजन की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ वकील हसमथ पाशा ने कोर्ट को बताया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। उन्होंने तर्क दिया कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत शरणारू की गिरफ्तारी के बाद बसवराजन के खिलाफ यह एक जवाबी शिकायत थी।
उन्होंने अदालत को बताया कि बसवराजन अवैध हिरासत में हैं क्योंकि उनके खिलाफ कथित अपराध हुआ ही नहीं था। पूर्व विधायक पर आपराधिक साजिश, रंगदारी, धोखाधड़ी और नाबालिग लड़की की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया गया है। शरणारू की गिरफ्तारी के बाद मठ के प्रभारी बसवप्रभु ने झूठी शिकायत दर्ज कराई थी।
‘ककोका’ मामलों में सुनवाई के लिए दिशानिर्देश जारी किए
कर्नाटक हाईकोर्ट ने उन मामलों में अपनाए जाने वाले दिशानिर्देश जारी किए हैं जब एक ही व्यक्ति कर्नाटक संगठित अपराध नियंत्रण अधिनियम (ककोका) और अन्य आपराधिक कानूनों के तहत मामलों का सामना कर रहा है। यह निर्देश राज्य सरकार द्वारा दायर एक याचिका पर जारी किए गए।
याचिका में गैंगस्टर बन्नांजे राजा के खिलाफ ‘ककोका’ के तहत मामला लंबित रहने के दौरान दूसरे आपराधिक कानूनों के तहत मुकदमे को स्थगित रखने की मांग की गई थी। बेलगावी में ‘ककोका’ मामलों के विशेष न्यायाधीश द्वारा राज्य सरकार के आवेदन को खारिज कर दिया गया था। सरकार ने विशेष न्यायाधीश के फैसले को चुनौती देते हुए उच्च न्यायालय में तीन याचिकाएं दायर की थीं।
हाईकोर्ट ने अश्लील वीडियो अपलोड करने की महिला की याचिका खारिज की
कर्नाटक हाईकोर्ट ने एक अश्लील वीडियो ऑनलाइन अपलोड करने की आरोपी महिला के खिलाफ दर्ज एफआईआर को रद्द करने से इनकार कर दिया। याचिकाकर्ता ने यह दावा करते हुए हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया कि वह पिछले 13 वर्षों से दुबई में रह रही हैं और किसी ने अपराध के लिए सिम कार्ड प्राप्त करने के लिए उनकी पहचान का दुरुपयोग किया है।
कोर्ट ने कहा कि प्राथमिकी में उसके नाम का उल्लेख होने से वह अपराधी नहीं हो जाती है और वह केवल संदिग्ध आरोपी है। इसलिए उसे जांच के लिए हाजिर होना होगा और विवरण प्रदान करना होगा, जिससे पुलिस वास्तविक अपराधियों के खिलाफ चार्जशीट दायर कर सके।
आरोपी ने हाईकोर्ट का रुख किया था और उसकी याचिका पर जस्टिस के. नटराजन ने सुनवाई की। इंटरनेट पर कथित रूप से एक निर्वस्त्र वीडियो अपलोड करने के लिए उसे सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) अधिनियम की धारा 67 और 67 (बी) के तहत आरोपित किया गया है।
साइबर, आर्थिक और नारकोटिक्स अपराध (सीईएन) पुलिस द्वारा 16 जनवरी, 2021 को मोबाइल सेवा प्रदाताओं से विवरण प्राप्त करने के बाद याचिकाकर्ता को आरोपी के रूप में नामित करते हुए मामला दर्ज किया गया था। वीडियो अपलोड करने के लिए इस्तेमाल किया गया सिम कार्ड आरोपी के नाम पर था। इस बीच, मामले के एक अन्य आरोपी को अग्रिम जमानत मिल गई।
याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट ने सामने दलील दी कि वह पिछले तेरह सालों से दुबई में रह रही है और अगर किसी ने फोन का इस्तेमाल किया और उसके नाम पर सिम कार्ड खरीदा, तो वह इसके लिए जिम्मेदार नहीं है।
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कर्नाटक हाईकोर्ट ने पूर्व विधायक और मुरुघा मठ के पूर्व प्रशासक एस.के. बसवराजन को सशर्त जमानत दे दी है। वह मठ के पुजारी शिवमूर्ति मुरुघा शरणारू के खिलाफ आपराधिक साजिश के आरोप में हिरासत में चल रहे थे।
शरणारू खुद भी दो नाबालिग लड़कियों के साथ यौन उत्पीड़न के आरोप में एक सितंबर से न्यायिक हिरासत में हैं। बसवराजन की आपराधिक याचिका पर गुरुवार को जस्टिस एस. रचैया की बेंच ने सुनवाई की।
बसवाराजन की ओर से बहस करते हुए वरिष्ठ वकील हसमथ पाशा ने कोर्ट को बताया कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप राजनीति से प्रेरित हैं। उन्होंने तर्क दिया कि यौन अपराधों से बच्चों के संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के प्रावधानों के तहत शरणारू की गिरफ्तारी के बाद बसवराजन के खिलाफ यह एक जवाबी शिकायत थी।
उन्होंने अदालत को बताया कि बसवराजन अवैध हिरासत में हैं क्योंकि उनके खिलाफ कथित अपराध हुआ ही नहीं था। पूर्व विधायक पर आपराधिक साजिश, रंगदारी, धोखाधड़ी और नाबालिग लड़की की खरीद फरोख्त का आरोप लगाया गया है। शरणारू की गिरफ्तारी के बाद मठ के प्रभारी बसवप्रभु ने झूठी शिकायत दर्ज कराई थी।
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