मो. महमूद आलम
नालंदा. नालंदा में मकर संक्रांति के मौके पर पतंग महोत्सव का आयोजन किया जा रहा है. यह आयोजन 14 जनवरी यानी मकर संक्रांति के मौके पर सिलाव के कड़ाह गांव में होगा. जहां सैकड़ों की संख्या में लोग पतंग उड़ाने के लिए इक्ट्ठा होंगे. इसको लेकर ज़िला प्रशासन ने सारी तैयारियां पूरी कर ली है. पतंगबाजी में बेहतर प्रदर्शन करने वाले को पुरुस्कृत भी किया जाएगा. इस पतंग महोत्सव को लेकर पतंग बनाने वाले कारीगरों में काफी खुशी देखी जा रही है.
महोत्सव से पतंग विक्रेता और कारोबारी दोनों में खुशी
आपको बताते चलें कि बिहार शरीफ मुख्यालय के काशी तकिया मोहल्ले में एक परिवार ऐसे ही हैं जो इस कारोबार से जुड़े हैं. यही नहीं उनके पूर्वज भी इसी पतंग बनाने का व्यवसाय करते थे. यहां काफी मात्रा में पतंग बनाया जा रहा है. यहां का बना हुआ पतंग पड़ोसी ज़िला शेखपुरा और नवादा के अलावा जिले के विभिन्न जगहों पर पतंग दुकानदार खरीदकर ठोक में ले जाते हैं.
कोरोना काल की वजह से पिछले दो सालों से पतंग महोत्सव का आयोजन नहीं हो रहा, जिसको लेकर पतंग बनाने वाले कारीगर मायूस थे. रोज़गार की तलाश में दूसरे प्रदेश का रुख कर गए. लेकिन इस बार आयोजित पतंग महोत्सव से पतंग विक्रेता और कारोबारी दोनों में खुशी देखी जा रही है.
दो से दस रुपए तक के पतंग हैं उपलब्ध
पतंग कारोबारी मो. अब्दुल्ला और मो. ताबिश बताते हैं कि पतंग बनाने का कारोबार हमारे पूर्वजों से चला आ रहा है. पहले कागज़ का पतंग बनता था उसमें कई तरह के डिज़ाइन बनते थे. अब वैसा नहीं है, प्लास्टिक और कागज़ दोनों के बनते हैं. लेकिन ज़्यादा डिमांड प्लास्टिक का होता है. जो छोटे बच्चे जिन्हें पतंग उड़ाना नहीं आता, वह ले जाते हैं, ताकि जल्दी फटे नहीं और अभी भी जो पुराने पतंग उड़ाने वाले हैं वो कागज़ का बनवाते हैं.
ज्यादातर पतंग की कीमत दो से दस रुपए तक होती है. लेकिन जो ऑर्डर देकर अपने ढंग से बनवाते हैं उसकी क़ीमत ₹50 होती है. पूरे साल इसी व्यापार से हमलोग जुड़े रहते हैं. लेकिन जब साल के आखिर दो महीने आते हैं उसमें यह व्यवसाय पूरी तरह से ठप हो जाता है. नए साल की शुरुआत होते ही मांगें होने लगती है. इस वजह से साल के आखिर दो महीने पहले से पतंग और तिरंगा झंडा के लिए सारी चीज़ें पहले से इक्ट्ठा कर उसे बनाने की तैयारी में जुट जाते हैं.
जनवरी के महीने में करीब 10 से 20 हज़ार पतंग बिक जाते हैं
जनवरी के महीने में करीब 10 से 20 हज़ार पतंग बीक जाते हैं. जिसमें घर चलाने तक पैसा हो जाता है. पहले महंगाई कम था तो कुछ पूंजी जमा करते थे. अब मुश्किल हो गया है. पहले इस कारोबार में परिवार के सभी लोग मिलकर करते थे. अब सिर्फ दो से 4 लोग जुड़े हैं. बाकी सब दूसरे रोजगार से जुड़कर परिवार चला रहे हैं. आने वाली नस्लें इस व्यवसाय को देखना भी पसंद नहीं कर रही है कि इतना कम मुनाफा का व्यवसाय करने से क्या फायदा है?
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FIRST PUBLISHED : January 06, 2023, 13:37 IST
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