बजट 2023: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण।
– फोटो : Agency (File Photo)
विस्तार
संसद में आर्थिक समीक्षा रिपोर्ट पेश करते हुए केंद्रीय वित्त एवं कॉरपोरेट कार्य मंत्री निर्मला सीतारमण ने बताया कि पांच वर्ष के भीतर उनकी सरकार ने ग्रामीण भारत के स्वास्थ्य में कई अहम सुधार लाए हैं जिसका असर है कि स्वास्थ्य पर खर्च में कमी आई है।
वित्त मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार ने कोरोना महामारी से त्रिस्तरीय लड़ाई लड़ी और उस पर जीत भी हासिल की है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी से देश को अभूतपूर्व चुनौतियों से जूझना पड़ा, लेकिन दो वर्ष में सरकार ने अर्थव्यवस्था को पुनर्जीवित करने और संक्रमण से बचाव के लिए कई राजकोषीय व सामाजिक उपाय किए। इनमें स्वास्थ्य संबंधी बुनियादी सुविधाओं को भौतिक व डिजिटल तौर पर बढ़ाना, स्वास्थ्य क्षेत्र के पेशेवरों का प्रशिक्षण बढ़ाना और व्यापक टीकाकरण अभियान को जारी रखना शामिल है।
आंकड़ों का हवाला देते हुए उन्होंने बताया कि वर्ष 2015-16 की तुलना में ग्रामीण जीवन से संबंधित विविध मानकों में सुधार हुआ है, जिनमें बुनियादी सुविधाएं जैसे अस्पताल, स्वास्थ्य जांच, बिस्तर शामिल हैं। साथ ही अस्पतालों में डॉक्टर, नर्स, पैरामेडिकल कर्मचारियों की कमी को भी काफी हद तक दूर किया है।
मंत्री निर्मला सीतारमण ने प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा को उनकी सरकार का केंद्र बिंदु बताते हुए कहा कि स्वास्थ्य सेवा अवसंरचना ‘सार्वजनिक स्वास्थ्य प्रणाली का सबसे अहम केंद्र’ है। अंतिम छोर पर मौजूद व्यक्ति को सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाएं मुहैया कराना सरकार का प्रमुख लक्ष्य है। इसलिए, सरकार का स्वास्थ्य पर कुल खर्च वित्त वर्ष 2014 में 28.6 से बढ़कर वित्त वर्ष 2019 में 40.6 फीसदी तक पहुंचा है। उन्होंने बताया कि बीते पांच वर्ष में स्वास्थ्य पर आउट ऑफ पॉकेट व्यय में खर्च 64.2 से घटकर 48.2 फीसदी तक पहुंचा है।
तीन गुना बढ़ा स्वास्थ्य बजट
वित्त मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने अब तक के कार्यकाल में सामाजिक क्षेत्र पर सबसे अधिक जोर दिया है। इस क्षेत्र के कुल आवंटन में पिछले आठ साल में शिक्षा पर लगभग दोगुना और स्वास्थ्य पर बजट में तीन गुना तक बढ़ोतरी हुई है।
- स्वास्थ्य पर 2014-15 में 1.49 लाख करोड़ रुपये खर्च किए जो 2021-22 में बढ़कर 4.72 लाख करोड़ पहुंच गए। 2022-23 में यह और बढ़कर 5.48 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचा है।
- वित्त मंत्री ने बताया कि स्वास्थ्य क्षेत्र पर केंद्र और राज्य सरकार का बजट व्यय वित्त वर्ष 2023 में सकल घरेलू उत्पाद जीडीपी का 2.1 फीसदी है जो वित्त वर्ष 2022 में 2.2 फीसदी तक पहुंचा था। वहीं वित्त वर्ष 2021 में यह व्यय 1.6 फीसदी था।
मां शिशु दोनों की सेहत सुधरी
नमूना पंजीकरण प्रणाली (एसआरएस) का हवाला देते हुए वित्त मंत्री ने बताया कि भारत ने माता और शिशु दोनों के स्वास्थ्य को लेकर काफी सुधार किए हैं। प्रति एक लाख जीवित बच्चों पर मातृ मृत्यु दर को 100 अंक से नीचे लाने में कामयाबी मिली है।
- उन्होंने बताया कि 2030 तक मातृ मृत्यु दर को 70 से भी नीचे लाने का लक्ष्य रखा गया है जिसे आठ राज्य पहले ही हासिल कर चुके हैं। इनमें केरल (19), महाराष्ट्र (33), तेलंगाना (43), आंध्र प्रदेश (45), तमिलनाडु (54), झारखंड (56), गुजरात (57) और कर्नाटक (69) शामिल हैं।
महामारी से बचने की त्रिस्तरीय नीति
आर्थिक समीक्षा में बताया कि सरकार ने गैर कोविड मरीजों को संक्रमण से बचाने और स्वास्थ्य सेवाओं को तैयार करने के लिए त्रिस्तरीय नीति पर काम किया। इसमें पहली नीति हल्के या पूर्व-लक्षण वाले मामलों को लेकर आइसोलेशन बेड के साथ समर्पित कोविड देखभाल केंद्र तैयार किए गए। दूसरी नीति मध्यम रोगियों के लिए कोविड स्वास्थ्य केंद्र बने, जहां ऑक्सीजन समर्थित आइसोलेशन बेड थे। तीसरी नीति गंभीर मरीजों को लेकर थी जिनके लिए आईसीयू, वेंटिलेटर का इंतजाम किया।
- उन्होंने बताया कि महामारी काल में ऑक्सीजन उत्पादन क्षमता को 4,852 एमटी तक बढ़ाने के उद्देश्य से देश में 4,135 पीएसए संयंत्रों की स्थापना की गई।
- राष्ट्रीय कोविड-19 टीकाकरण कार्यक्रम के जरिए अनुसंधान, विकास और लॉजिस्टिक चुनौतियों पर नियंत्रण पाते हुए अपना लक्ष्य हासिल किया। 16 जनवरी 2020 से शुरू इस कार्यक्रम के तहत छह जनवरी 2023 तक 220 करोड़ से अधिक कोविड टीके लगाए गए। देश की 97 फीसदी आबादी टीके की कम से कम एक खुराक दी गई जबकि 90 फीसदी आबादी को दोनों खुराक दी गईं।
- वित्त मंत्री ने कहा कि को-विन प्रणाली से संपूर्ण सार्वजनिक स्वास्थ्य व्यवस्था से सभी प्रकार के समाधान मिले हैं। इसके जरिए राष्ट्र, राज्य और जिला स्तर पर संक्रमण की निगरानी में सहायता मिली और कोविड-19 टीकों की बर्बादी रोकने में भी सफलता मिली।
1.50 लाख आयुष्मान भारत केंद्र शुरू
वित्त मंत्री ने बताया कि देश में अब तक 1.50 लाख से ज्यादा आयुष्मान भारत स्वास्थ्य व वेलनेस केंद्रों की स्थापना हुई है जिससे प्राथमिक स्वास्थ्य सेवा काफी मजबूत हुई। माता व शिशु के अलावा संचारी रोगों की शुरुआती चरण में ही पहचान आसान हुई है। इन केंद्रों पर मानसिक तनाव, मधुमेह और मुंह, स्तन व गर्भाशय के तीन समान कैंसर का उपचार भी किया जा रहा है।
- देशभर में 1,54,070 स्वास्थ्य एवं कल्याण केन्द्र संचालित हैं जहां अब तक 135 करोड़ से अधिक लोग सेवा का लाभ ले चुके हैं।
- कुल 87 करोड़ से अधिक लोगों की गैर-संचारी रोगों को लेकर यहां जांच हुई है। लोगों को स्वस्थ रखने के लिए योग के 1.60 करोड़ से अधिक कल्याण सत्र आयोजित हुए हैं।
- ई-संजीवनी के जरिए लोगों को घर बैठे चिकित्सा सलाह की सेवा दी जा रही है। 17 जनवरी तक इन केंद्रों पर नौ करोड़ 30 लाख से ज्यादा लोगों को ऑनलाइन चिकित्सा परामर्श दिए गए।
श्रेय: स्रोत लिंक
इस बारे में चर्चा post